Saturday 22 September 2018

खीरा की खेती कैसे करें Kheere Ki Kheti Kaise kare

Kheere Ki Kheti Kaise kare खीरा की खेती कैसे करें 

खीरा (Cucumber) जायद की एक प्रमुख फसल है| इसका वैज्ञानिक नाम कुसुमिस सैटीवस है| खीरा (Cucumber) को सलाद के अलावा फलों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है| यह पीलिया, बुखार, शरीर की जलन, प्यास, गर्मी के दोष, चर्म रोग और औषधियों में लाभदायक है| इसके साथ साथ घुटनों का दर्द, कब्ज, चर्म रोग और मधुमेह में भी बहुत लाभदायक होता है |
सम्पूर्ण भारत में खीरा (Cucumber) की खेती की जाती है| लेकिन किसान भाइयों को इसकी उचित उपज नही मिल पाती है| तो किसान भाई सोच रहे होंगे की इसकी खेती कैसे करे की इसकी उपज अच्छी मिल सके और हमें अच्छा मुनाफा मिल सके| तो इसके लिए किसान भाइयों को कुछ महत्वपूर्ण आधुनिक बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है | 
Kheere Ki Kheti Kaise kare
Kheere Ki Kheti Kaise kare

खीरा के लिए जलवायु और भूमि

  1. खीरा के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु उपयुक्त रहती है| फुल के समय इसके लिए उपयुक्त तापमान 13 से 19 डिग्री सेल्शियस होता है| और पौधों के विकास और अच्छी उपज के लिए 19 से 25 डिग्री सेल्शियस तापमान उपयुक्त रहता है|
  2. इसकी फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है| लेकिन खीरा की खेती सभी प्रकार की कार्बनिक और उपजाऊ मिट्टी में इसकी खेती सफलतापुर्वक की जाती है| खीरा के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.8 के मध्य होना अच्छा रहता है|

खेत की तैयारी और खाद उर्वरक प्रबंधन

  1. फसल की तैयारी के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए| उसके बाद 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से कर के मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए, उसके बाद पाटा लगा देना चाहिए |
  2. खीरा (Cucumber) की फसल के लिए 300 से 350 क्विंटल कम्पोस्ट या गली सड़ी गोबर की खाद डालनी चाहिए| इसकी साथ साथ 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में डालनी चाहिए| नाइट्रोजन की आधी मात्रा पोटाश और फास्फोरस की पूरी मात्रा आखरी जुताई में देनी चाहिए| इसके बाद बची हुई मात्रा दो बार मई एक बुवाई के 25 से 30 दिन बाद और दूसरा फसल के फुल आने के समय देनी चाहिए |

किस्में और बीज बुवाई 

  1. खीरा की उन्नत विदेशी किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट एट और पोइनसेट, भारतीय उन्नत समान्य किस्में- पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन पूसा संयोग, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम, और खीरा 75, खीरा की संकर किस्में- प्रिया, हाइब्रिड- 1, और हाइब्रिड- 2, खीरा की नवीनतम किस्में- पीसीयूएच 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण शीतल आदि |
  2. खीरा (Cucumber) की खेती के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के लिए उपयुक्त रहता है| बुवाई से पहले 2 ग्राम कैप्टान प्रति लिटर पानी के दर से 3 से 4 घंटे बीज को भिगोकर रखे उसके बाद उनको छाव में सुखाकर बुवाई करनी चाहिए |
  3. इसकी बुवाई दो मौषम में की जाती है, एक खरीफ में जून से जुलाई तक की जाती है, दूसरी जायद के समय जनवरी से फरवरी तक का समय उपयुक्त रहता है |
  4. बुवाई के लिए पूर्व से पश्चिम दिशा की और नाली बनाए, जो 50 से 70 सेंटीमीटर चौड़ी, 1 से 1.5 मीटर की दुरी पर 20 से 30 सेंटीमीटर गहराई होनी चाहिए| अब नालियों के दोनों और बीच में 4 से 5 बीज इक्कठे जिनकी दुरी 45 से 50 सेंटीमीटर पर बुवाई करनी चाहिए |
kheera ki kheti kab kare
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सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन

  1. खरीफ की फसल में कम पानी की आवश्यकता पड़ती है, क्योकि बारिश का पानी काफी होता है| यदि बारिश नही होती तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करे| जायद में 7 से 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई या आवश्यकतानुसार करनी चाहिए |
  2. फसल में खरपतवार रोकथाम के लिए बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली निराई गुड़ाई करनी चाहिए| अब आवश्यकतानुसार खरपतवार निकलते रहना चाहिए, क्योकि खरपतवार इस फसल पर काफी कुप्रभाव डालती है| या फिर पेंडीमेथेलिन 3.5 लिटर प्रति हेक्टेयर 800 से 1000 लिटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के बाद 2 दिन तक नम भूमि में छिड़काव कर सकते है| इसे खरपतवार के जमाव पर अंकुश लगेगा |

खीरा में रोग और कीट रोकथाम

  1. खीरा में फफूंदी रोग लगते है, जैसे- डाउनी फफूंदी, पउडरी फफूंदी, धब्बा रोग और विषाणु रोग लगते है| इनकी रोकथाम के लिए रोगरोधी किस्म का चुनाव और प्रमाणित बीज का उपचार कर के बुवाई करनी चाहिए| इसके साथ साथ कोसावेट गंधक 2 ग्राम प्रति लिटर या कैरोथिन 1 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में मिलाकर 3 से 4 छिड़काव 10 से 15 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए| विषाणु रोग की रोकथाम के लिए सैप्त्रोसाइक्लिन 400 पीपीएम का छिड़काव 10 दिन के अन्तराल पर दो बार करना चाहिए |
  2. इस फसल में अनेक कीट लगते है, जैसे लाल किट, फल का कीड़ा, बग कीट, माहू, कुकरबिट और मैलान फ्लाई आदि| इनकी रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास, एंडोसल्फान और मैलाथियम 1 से 1.5 लिटर प्रत्येक का अलग अलग 5 से 7 दिन के अन्तराल पर 700 से 800 लिटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए |
Saini Beej  Bhandar Kota

फसल की तुड़ाई और पैदावार 

  1. फल की तुड़ाई जब आप को लगे की फल मुलायम और खाने योग्य हो गये है| फुल आने के एक सप्ताह बाद फल खाने योग्य हो जाते है| सप्ताह में फल की तुड़ाई दो बार करनी चाहिए, ताकि फल के भाव और पैदावार अच्छी मिल सके |
  2. अनुकूल मौषम और उपरोक्त तकनीकी से खेती करने पर अच्छी किस्मों के चुनाव के अनुसार उपज 120 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल सकती है |

उपरोक्त प्रक्रिया, खीरा की खेती की जानकारी जलवायु, किस्में, रोकथाम व पैदावार आदि, के तहत किसान भाई अच्छी पैदावार ले सकते है| किसान भाइयों को जागरूक करने का एक छोटा सा प्रयास आपको कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया नीचे Comment के जरिए जरुर दीजिए, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, और लेख अच्छा लेगे तो Like और Share जरुर करें|

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